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गोरखपुर

बीजेपी की इस सहयोगी पार्टी ने केंद्रीय मंत्री गहलोत को चेताया, इस मामले में अंजाम भुगतना पड़ सकता

 
अनुसूचित जाति में निषाद समाज को रखने के फैसले पर राज्यसभा में थावरचंद गहलोत के बयान के बाद सियासी पारा चढ़ा

गोरखपुरJul 02, 2019 / 03:18 pm

धीरेन्द्र विक्रमादित्य

BJP Nishad party

संजय निषाद

निषाद वंशीय जातियों को अनुसूचित जाति में डालने का योगी आदित्यनाथ सरकार का फैसला अधर में लटक सकता है। केंद्र सरकार की ओर से लोकसभा में दिए गए केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत के बयान के बाद अब इन सभी 17 जातियों पर हुए निर्णय से लोग सशंकित हैं। निषाद समाज से जुड़े लोगों का कहना है कि वे यूपी सरकार के फैसले के साथ किसी प्रकार का छेड़छाड़ होने नहीं देंगे। उधर, निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डाॅ.संजय निषाद ने साफ कहा है कि केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत ने गलत बयानबाजी किया है। केंद्र्र सरकार या यूपी सरकार की अनुकंपा पर निषाद समाज अनुसूचित जाति में शामिल नहीं किया जा रहा है बल्कि हाईकोर्ट के निर्देश पर ऐसा हो रहा है। उन्होंने कहा कि केंद्रीय मंत्री का यह बयान बीजेपी के लिए भारी पड़ सकता है।
निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डाॅ.संजय निषाद ने ‘पत्रिका’ से बातचीत में कहा कि वह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से इस मामले में मिलने जा रहे हैं।
डाॅ.निषाद ने कहा कि निषाद जातियों को 1957 से पहले अनुसूचित जाति का सर्टिफिकेट मिलता रहा है। 1961 में देश के राष्ट्रपति ने भी पर्यायवाची जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने पर अपनी राय दी थी। चमार की पर्यायवाची जातियों को अनुसूचित जाति का लाभ मिलता है और बाकी की पर्यायवाची जातियों को पिछड़ा वर्ग में किस आधार पर रखा गया है। अगर मछुआरा समाज की पर्यायवाची जातियों को अनुसचित जाति में नहीं रखना है तो चमार की भी पर्यायवाची जातियों को बाहर किया जाए। उन्होंने कहा कि निषाद समाज के साथ अगर छल हुआ तो वे लोग आंदोलन को फिर से बाध्य होंगे। हम 24 प्रतिशत लोग किसी भी सूरत में अपना हक लेकर रहेंगे। केवल वोट लेने के लिए हमारा इस्तेमाल सबको भारी पड़ सकता है।
यह है मामला
यूपी सरकार ने मछुआरा समाज की 17 जातियों को पिछड़ा वर्ग से हटाकर अनुसूचित जाति में शामिल कर दिया था। निषाद पार्टी व निषाद समाज इस मामले को लेकर काफी आंदोलित थी। मछुआरा समाज की 17 जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने के बाद इन जातियों में खुशी का माहौल था। लेकिन राज्यसभा में एक सवाल का जवाब देते हुए मंगलवार को केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत ने सरकार की ओर से जवाब दिया कि यूपी सरकार का 17 जातियों का पिछड़ी से अनुसूचित जाति में डालना गैर कानूनी है। उन्होंने बताया कि यह संसद का विशेषाधिकार है और न्यायालय में फैसला टिक नहीं पाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि वे लोग योगी सरकार से अनुरोध करेंगे कि वे अपना निर्णय वापस लें। केंद्रीय मंत्री के इस बयान के बाद सियासी पारा काफी चढ़ गया है।

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